तन्हाई के पलों में, मैं अपने आप से बातें करता हूँ, “कुछ टूटे तो उसे सजाना सीखो, कुछ रूठे तो उसे मनाना सीखो, रिश्तों को निभाने का हुनर सीखो, तन्हाई में रह कर मुस्कुराना सीखो।” “मेरे अकेलेपन का क्या सबूत दूं, तन्हाई भी पास बैठ कर रोने लगी है।” जो https://youtu.be/Lug0ffByUck